पुराने नॉन स्टिक पैन इनफर्टिलिटी, हार्ट ,मस्तिष्क और कैंसर कारक डॉ अर्चिता महाजन

डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्म भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार ने बताया कि कई स्टडी ये दिखाती हैं कि मुमकिन है कि दूध में मिलने वाले कुछ बैक्टीरिया की वजह Aसे कैंसर होA सकता हैA. लेकिन यहां विलेन दूध नहीं इसमें पाए जाने वाले कीटाणु हैं. यही कीटाणु मीट में भी पाए जाते हैं. इन्हें बोवाइन मिल्क एंड मीट फैक्टर कहा जाता है. लेकिन परेशान करने वाली बात ये है कि ये बैक्टीरिया दूध को उबालने या पाश्चराइज करने पर भी नहीं मरते हैं.।द अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रिशन के अनुसार 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर दिखाई देता है। यदि बच्चों को प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम से बचाना चाहती ((can milk increase prostate cancer) हैं, तो बचपन से ही उन्हें नॉन डेयरी प्रोडक्ट दें। ऐसे क…Read more
डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्म भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार ने बताया कि जितना ध्यान हम भोज्य पदार्थों आदि पर देते हैं, उतना ही ध्यान हमें भोजन बनाने, परोसने, रखने व करने वाले बर्तनों पर भी देना चाहिए । बर्तनों के गुण-दोष भोजन में आ जाते हैं । अतः कौन से बर्तन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है और कौन से हानिकारक। नॉ शहरों में रहने वाले अधिकांश लोग भोजन बनाने के लिए नॉन स्टिक बर्तनों का उपयोग करने लगे हैं । ये स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक होते हैं । इन बर्तनों पर कलई करने हेतु टेफ्लॉन का प्रयोग होता है जो अधिक तापमान पर एक प्रकार की गैस छोड़ता है, जिससे टेफ्लॉन-फ्लू (बुखार, सिरदर्द जैसे लक्षण) होने की आशंका बढ़ती है तथा फेफड़ों पर बहुत विपरीत परिणाम होता है । International Journal of Hygiene and Environmental Health में छपे एक शोध के अनुसार नॉन स्टिक बर्तनों में उपयोग किये जाने वाले टेफ्लॉन को बनाने में परफ्लोरोओक्टेनोइक एसिड रसायन का उपयोग होता है । अमेरिका में इसका उपयोग बंद करने पर कम वज़न के शिशुओं का जन्मना और उनमें तत्संबंधी मस्तिष्क-क्षति की समस्या में भारी कमी हुई है ।अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, नॉन-स्टिक बर्तनों के अधिक उपयोग से कैंसर जैसी घातक बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है।
किडनी से जुड़ी समस्या होने का रिस्क होता है। थायरॉइड से जुड़ी समस्या हो सकती है। इम्यून पावर कमजोर हो सकती है। नॉन-स्टिक में खाना पकाने से आयरन की कमी हो सकती है। इससे खून की कमी यानी एनीमिया हो सकता है।
कॉग्‍निटिव डिसॉर्डर यानी मस्तिष्क से जुड़ी समस्या हो सकती है।अगर आपके नॉन स्टिक पैन में स्क्रैच आ गया है तो आपको इसे तुरंत बदल देना चाहिएहाई ट्राईग्लिसराइड की स्थिति बढ़ती है। जिससे, दिल की बीमारियों का रिस्क बढ़ता है
प्रजजनन क्षमता हो सकती है कम