पंजाब के पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन मंत्री स गुरमीत सिंह खुड्डियां ने आज विभाग के अधिकारियों को 21वीं पशुधन गणना को फरवरी 2025 के अंत तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं।पशुओं की नस्लों और अन्य विशेषताओं के आधार पर श्रेणीबद्ध किए गए पशुओं की सटीक गणना के लिए डेटा एकत्र करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह व्यापक सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण मानक के रूप में कार्य करेगा, जो पशुधन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति को उजागर करेगा और इस संबंध में भविष्य की योजना बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगा। साथ ही, यह आवश्यकतानुसार निर्णय लेने और क्षेत्र में स्थायी प्रथाओं को प्रोत्साहित करने में सहायक होगा।
स गुरमीत सिंह खुड्डियां ने पंजाब राज्य किसान और खेत मज़दूर आयोग के अध्यक्ष डॉ. सुखपाल सिंह सहित एस.ए.एस. नगर (मोहाली) के सेक्टर-68 स्थित पशुधन परिसर में विभाग द्वारा लागू किए जा रहे प्रोजेक्ट्स की समीक्षा के लिए पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की।
उन्होंने अधिकारियों को अगले सप्ताह से राज्य में लंपी स्किन डिजीज (एल.एस.डी.) के खिलाफ व्यापक टीकाकरण अभियान शुरू करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इस घातक बीमारी को रोकने के लिए सभी 25 लाख गाय-वंश के पशुओं के टीकाकरण हेतु आवश्यक मात्रा में गोट पॉक्स वैक्सीन की खुराकें खरीदी गई हैं।
स गुरमीत सिंह खुड्डियां ने पटियाला, अमृतसर, बठिंडा, संगरूर, गुरदासपुर और लुधियाना के छह वेटरनरी पॉलीक्लिनिक्स में शुरू की जाने वाली इंडोर सेवाओं संबंधी प्रोजेक्ट की स्थिति का भी जायजा लिया। इन पॉलीक्लिनिक्स में पालतू जानवरों और पशुओं के लिए कई प्रकार की इंडोर सेवाएं प्रदान की जाएंगी, जिनमें गंभीर बीमारियों का प्रबंधन, सर्जरी, सर्जरी के बाद देखभाल, लैब टेस्ट, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड सुविधाएं शामिल होंगी। उन्होंने डिप्टी डायरेक्टर्स को प्रत्येक जिले में उन किसानों की सफलता की कहानियां एकत्र करने के निर्देश दिए, जिन्होंने पशुपालन विभाग की सेवाओं से लाभ उठाया है, ताकि अन्य किसानों को भी प्रेरित किया जा सके।
पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव राहुल भंडारी ने कैबिनेट मंत्री को अवगत कराया कि राज्य में पहली बार पशुपालन क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखा जा रहा है। कुल 16 विभिन्न प्रकार के पशुओं और पोल्ट्री की गणना की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह डेटा मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से डिजिटल रूप में एकत्र किया जा रहा है। 64.78 लाख से अधिक घरों को कवर करने के लक्ष्य के मुकाबले, गणनाकर्ताओं द्वारा अब तक 35.36 लाख से अधिक घरों को कवर किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि पिछली पशुधन गणना के दौरान कुल 45,51,483 घरों को कवर किया गया था।
पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. जी.एस. बेदी ने कैबिनेट मंत्री स गुरमीत सिंह खुड्डियां को आश्वासन दिया कि इस चल रही पशुधन गणना को निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि विभाग पशुओं के इलाज के साथ-साथ विभिन्न बीमारियों के टीकाकरण और रोकथाम के उपायों के मामले में बेहतर कार्य कर रहा है। इस उच्च स्तरीय बैठक में पशुपालन विभाग के सभी जिला प्रमुख और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
पंजाब एग्रो ने चारे के स्थाई समाधान पर स्टेकहोल्डर्स की कॉन्फ्रेंस आयोजित की
चंडीगढ़, 3 जनवरी:Prime Punjab
राज्य में पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने और कृषि क्षेत्र में सतत विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पंजाब सरकार द्वारा चारे की उत्पादन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के लिए एल्फाल्फा को राज्य की चारा प्रणाली में शामिल करने के लिए सहायक पहलकदमियों को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह जानकारी आज यहां कृषि और किसान कल्याण तथा खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने दी।
वे आज यहां सी.आई.आई. के उत्तरी क्षेत्र मुख्यालय में पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन लिमिटेड (पी.ए.आई.सी.) द्वारा नमोस्टुट इनोवेटर्स एल.एल.पी. (एन.एस.आई.) और टीम एथीना के सहयोग से “सस्टेनेबल फॉरेज सॉल्यूशन: एल्फाल्फा – मशीनीकरण, उत्पादन और मार्केटिंग” पर आयोजित स्टेकहोल्डर्स की कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।
चारे की कमी से निपटने और पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नवीनतम उपायों के महत्व पर जोर देते हुए श्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि पंजाब एग्रो द्वारा लाडोवाल (लुधियाना) में 60 एकड़ भूमि पर एल्फाल्फा की खेती की गई है। इस खेती को प्रोत्साहित करने के पीछे राज्य सरकार का उद्देश्य किसानों को टिकाऊ और किफायती चारा प्रदान करना है, जिससे पशु स्वस्थ होंगे और दूध के उत्पादन में वृद्धि होगी।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि पंजाब एग्रो द्वारा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पी.ए.यू.) और गुरु अंगद देव वेटरिनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी की गई है, ताकि किसानों को पशुओं के सही पोषण के बारे में जानकारी दी जा सके। उन्होंने कहा कि एल्फाल्फा चारे की खेती के कई लाभ हैं, जिनमें उच्च पोषण तत्व और पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार शामिल हैं। इसके अलावा, यह नाइट्रोजन को अवशोषित करके मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और अपनी गहरी जड़ों से मिट्टी की गहराई से नमी प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि यह विशेषता एल्फाल्फा को सूखे की स्थिति में अधिक अनुकूल बनाती है, जिससे शुष्क मौसम के दौरान भी चारे की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है।
कृषि क्षेत्र में सतत विकास और चारे से संबंधित चुनौतियों को हल करने के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए पी.ए.आई.सी. के अतिरिक्त प्रबंध निदेशक श्री जगनूर सिंह गरेवाल ने एल्फाल्फा को उच्च पोषणयुक्त चारे की फसल बताया, जो पशुओं के लिए सालभर चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु साइलाज की पूर्ति करता है। उन्होंने कहा कि एल्फाल्फा को इसके उच्च पोषण मूल्य के लिए जाना जाता है, जो इसे घोड़ों, पशुओं, भेड़ों और बकरियों जैसे पशुओं के लिए एक आदर्श चारा बनाता है। उन्होंने बताया कि इस चारे को एक बार बोने के बाद तीन वर्षों तक प्रति वर्ष छह से आठ बार काटा जा सकता है और यह समग्र रूप से खेती प्रणाली में सुधार कर सकता है। यह कीट और बीमारियों के चक्र को तोड़ने में मदद करता है और अगली फसल की उत्पादकता को बढ़ाता है।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, डेविस के एल्फाल्फा एंड फॉरेज एक्सटेंशन स्पेशलिस्ट डॉ. डेनियल एच. पुटनम ने एल्फाल्फा चारे की खेती में विश्व स्तर पर अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में जानकारी साझा की।
इस कॉन्फ्रेंस में डेयरी फार्म, स्टड फार्म, बकरी फार्म, सुअर पालन इकाइयों और पोल्ट्री फार्म के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न साझेदारों ने भाग लिया। डेयरी और एग्री-फूड उद्योगों के प्रमुख दिग्गजों जैसे नेस्ले, अमूल, मिल्कफेड, आई.टी.सी., यूनिलीवर और बानी मिल्क ने भी कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पी.ए.यू.) और गुरु अंगद देव वेटरिनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी के शिक्षाविद, वैज्ञानिक और वरिष्ठ शोधकर्ताओं ने फसल विज्ञान और पशुओं के पोषण के दृष्टिकोण पर विचार-विमर्श में अहम भूमिका निभाई।
]]>