सिख समुदाय के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए परमजीत सिंह सरना को श्री अकाल तख्त साहिब पर बुलाकर तनख्वाहिया करार दिया जाए: दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने जत्थेदार अकाल तख्त को की अपील


शिरोमणि कमेटी द्वारा वर्ष 2018 में प्रकाशित पुस्तक शहीदी जीवन (लेखक गुरबख्श सिंह ‘शमशेर झुबालिया) में स्पष्ट तौर पर लिखित विवरण मौजूद है: हरमीत सिंह कालका, जगदीप सिंह काहलों
जालंधर, 5 फरवरी:दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह जी से अनुरोध करते हुए कहा है कि सिख कौम के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए अकाली नेता परमजीत सिंह सरना को तुरंत श्री अकाल तख्त साहिब पर तलब कर तनख्वाहिया करार दिया जाए।
जत्थेदार साहिब को लिखे पत्र में कमेटी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका व महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने कहा कि सरदार परमजीत सिंह सरना द्वारा कौम को गुमराह करने की साजिश की जा रही है। दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष व शिरोमणि अकाली दल बादल दिल्ली इकाई ने अपने दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष कार्य काल के दौरान श्री अकाल तख्त साहिब को चुनौती देते हुए दो संग्रांद, दो गुरपर्व व दसम ग्रंथ आदि के संबंध में सिख कौम व संगत को सदैव गुमराह करने का काम किया और अब एक नए विवाद को पैदा करने की कोशिश की है।
परमजीत सिंह सरना सोशल मीडिया पर बार-बार कह रहे हैं कि बाबा बघेल सिंह जी ने गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में कोई मस्जिद नहीं ढहाई। जबकि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जो कि सिखों की सर्वोच्च संस्था है उसके द्वारा वर्ष 2018 में प्रकाशित पुस्तक शहीदी जीवन (लेखक गुरबख्श सिंह शमशेर झुबालिया) के पेज नंबर 32 पर स्पष्ट तौर पर लिखा है कि बाबा बघेल सिंह ने मस्जिद ढहा कर गुंबददार मंदिर का निर्माण करते हुए गुरुद्वारा साहिब स्थापित किया।
कालका व काहलों ने कहा कि परमजीत सिंह सरना नौंवे गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के एतिहासिक स्थल गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हुए बाबा बघेल सिंह जी द्वारा पंथ के प्रति की सेवाओं पर संगत को फिर से गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। अगर समय रहते नकेल नहीं कसी गई तो आने वाली पीढ़ी के लिए भ्रम की स्थिति पैदा होगी।
उन्होंने कहा कि पंथ के हितों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी विनम्रतापूर्वक अनुरोध करती है कि परमजीत सिंह सरना को अकाल तख्त पर बुलाकर तनख्वाहिया करार देते हुए कड़ी से कड़ी सज़ा सुनाई जाए।

3